दक्षिण काली पीठाधीश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने अपने जन्मदिन को सन्यास दिवस के रूप में मनाया। हरिद्वार के आद्या शक्ति आश्रम में जगतगुरु शंकराचार्य राज राजेश्वरानंद महाराज ने उन्हें सन्यास की दीक्षा भी दी। कैलाशानंद गिरी महाराज ने अग्नि अखाड़ा छोड़कर निरंजनी अखाड़े की सदस्यता ले ली है। सन्यास की दीक्षा लेने के बाद अब उन्हें कैलाशानंद गिरी महाराज के नाम से जाना जायेगा। दीक्षा कार्यक्रम के दौरान अखाडा परिषद् के महामंत्री हरिगिरि महाराज और निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्रपुरी महाराज समेत कई साधु-संत मौजूद रहे। उन्हें निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी 14 जनवरी को कैलाशानंद गिरी महाराज का निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टा अभिषेक होगा। आज सन्यास दिवस के अवसर पर कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि साल 2008 से उनकी इच्छा थी कि वो शंकराचार्य राज राजेश्वरानंद महाराज से सन्यास की दीक्षा ले और आज साल 2021 में उनका सपना पूरा हो गया है। उनसे दीक्षा लेकर उनका जीवन धन्य हो गया है। वही उन्होंने ये भी कहा कि वो मन-कर्म-वचन से कभी किसी प्रकार की हानि नहीं होने देंगे और निरंजनी अखाड़े के साथ ही सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का काम करेंगे।