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Rajesh Sharma
• Mon, 6 Dec 2021 9:33 am IST


ब्रह्मलीन संत को दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि



हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा है कि धर्म के संरक्षण संवर्धन में संत महापुरुषों ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है और महापुरुषों का जीवन सदैव ही समाज हित में समर्पित रहता है। कनखल स्थित श्री लोकेश धाम में ब्रह्मलीन जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लोकेशानंद गिरी महाराज की 23वीं पुण्यतिथी पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि भारत की महान विभूति ब्रह्मलीन स्वामी लोकेशानंद गिरि महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने अपने कुशल व्यवहार एवं आचरण के माध्यम से समाज को धर्म का सकारात्मक संदेश प्रदान किया। इस अवसर पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुषों के सानिध्य में ब्रह्मलीन स्वामी लोकेशानंद गिरी महाराज के कृपा पात्र शिष्य स्वामी सदाशिवानंद गिरी महाराज को तिलक चादर भेंट कर महंताई प्रदान की गई और लोकेश धाम का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद गिरी महाराज एवं श्रीपंच दशनाम आवाहन अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्य गिरी महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं सदैव समाज को जागृत कर मार्गदर्शन करती हैं। महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद एवं श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज ने कहा कि योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। स्वामी सदाशिवानंद गिरि महाराज एक विद्वान संत हैं। जो लोकेश धाम आश्रम का कुशल संचालन करते हुए सनातन परंपराओं का निर्वहन करेंगे और अपने गुरु द्वारा गंगाखेड से प्रारंभ किए गए सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी करेंगे। लोकेश धाम आश्रम के नवनियुक्त उत्तराधिकारी स्वामी सदाशिवानंद गिरि महाराज ने सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जो दायित्व उन्हें संत समाज द्वारा सौंपा गया है। उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे और सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपना संपूर्ण योगदान प्रदान करेंगे। उनके बताए मार्ग पर चलकर उनके अधूरे कार्य को पूर्ण करना ही मेरे जीवन का मूल उद्देश्य होगा। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज, महंत दुर्गादास, स्वामी रवि देव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी गिरधर गिरी, स्वामी दर्शनानन्द गिरी, महंत प्रह्लाद दास, महंत जसविंदर सिंह, स्वामी सच्चिदानंद गोस्वामी, महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद अवधूत, बाबा हठयोगी सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।