खेत में लगी तारबाड़ में तड़के फंसा तेंदुआ ट्रेंकुलाइज गन के अभाव में घंटों तड़पता रहा। पिथौरागढ़ से गन मंगाकर शाम चार बजे उसे रेस्क्यू किया गया। तब जांच के बाद रात आठ बजे उसे सुरक्षित वास स्थल में छोड़ा जा सका। लोहाघाट ब्लाॅक के दूरस्थ बसकुनी गांव में शनिवार तड़के पांच बजे ग्रामीणों को तेंदुए की गुर्राहट सुनाई दी। हिम्मत कर ग्रामीण मौके पर जुटे तो देखा तेंदुआ खेत में लगी तारबाड़ में फंसा था। करीब नौ बजे वन विभाग को सूचित किया गया।
इस पर एसडीओ नेहा सौन के नेतृत्व में वन विभाग की टीम बसकुनी गांव पहुंची, लेकिन चंपावत जिले में वन विभाग के पास ट्रेंकुलाइजर गन न होने के कारण तत्काल रेस्क्यू नहीं हो पाया। इस पर पिथौरागढ़ से गन मंगाई गई। शाम तीन बजे टीम गन लेकर पहुंची तब चार बजे तेंदुए को ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में रखा जा सका।
रेंजर दीप जोशी ने बताया कि पशुपालन विभाग के चिकित्सकों ने तेंदुए का स्वास्थ्य परीक्षण किया जिसमें मादा तेंदुए की उम्र पांच साल की बताई गई और वह स्वस्थ पाया गया। रेंजर ने बताया कि तेंदुए को आबादी से दूर जंगल में छोड़ दिया है। बताया कि खेत में तेंदुए के फंदे में फंसने के मामले की जांच की जा रही है।
अस्कोट में तेंदुए ने कुत्ते को बनाया निवाला
खोलिया गांव निवासी गोविंद सिंह पाल के कुत्ते को घर के मुख्य दरवाजे के पास से तेंदुआ उठाकर ले गया। शुक्रवार शाम कुत्ते की आवाज सुनकर परिजनों को तेंदुए के हमले का पता चला लेकिन तब तक कुत्ता तेंदुआ का निवाला बन चुका था। तेंदुए के आबादी में पहुंचने से ग्रामीणों में भय है। ग्रामीणों ने वन विभाग से सुरक्षा के इंतजाम करने की मांग की है।