पिथौरागढ़-राज्य गठन के बाद से ही पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी यहां काम लाए जाने की तमाम घोषणाएं हुईं, लेकिन अब तक न तो पानी काम आया और नहीं जवानी। जवानी पलायन को मजबूर है तो गाड़ गधेरों का पानी यूं ही बेकार जा रहा है। सीमांत जिले पिथौरागढ़ में प्रदेश की सर्वाधिक लघु जल विद्युत परियोजनाएं हैं, लेकिन इनमें से आधी ठप पड़ी हैं तो आधी योजनाओं में नाममात्र का ही उत्पादन हो रहा है। जिले में ऊर्जा पैदा कर युवाओं को रोजगार देने की मंशा फिलहाल सपना ही है।