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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 22 Aug 2023 12:13 pm IST


उत्तराखंड में कदम-कदम पर खतरा , करीब 360 से अधिक डेंजर स्लिप जोन चिह्नित


उत्तराखंड में मानसून की बारिश घातक सिद्ध हो रही है। दो महीने पहले शुरू हुई बारिश के बाद से प्राकृतिक आपदाओं में 78 लोग मौत के मुंह में चले गए, जबकि 47 लोग घायल हुए हैं, वहीं 18 अब भी लापता हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक मृत्यु भूस्खलन के कारण हुई हैं।राज्य का कोई ऐसा पर्वतीय जिला नहीं है, जहां भवनों और सड़कों को भूस्खलन के कारण नुकसान नहीं पहुंचा हो। विशेषज्ञों की मानें तो बारिश का पानी पहाड़ों में रिसकर भूस्खलन का बड़ा कारण बन रहा है। इस वर्ष मार्च में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) भूस्खलन पर आधारित मानचित्र रिपोर्ट में उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में भूस्खलन से खतरा बताया था।इस रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग जिले को देश में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा है, जबकि भूस्खलन जोखिम के मामले में देश के 10 सबसे अधिक संवेदनशील जिलों में टिहरी दूसरे स्थान पर है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड का 72 प्रतिशत यानि 39 हजार वर्ग किमी क्षेत्र भूस्खलन से प्रभावित है।

360 से अधिक डेंजर स्लिप जोन चिह्नित : अल्मोड़ा-95, बागेश्वर-14, नैनीताल-15, पिथौरागढ़-4, चंपावत-3, उत्तरकाशी-7, चमोली-27, रुद्रप्रयाग-33, टिहरी-96, देहरादून-14, पौड़ी-22, हरिद्वार-3
(आंकड़े लोनिवि के अनुसार)