विधानसभा बैकडोर भर्ती में न कोई विज्ञापन जारी किए, न किसी से आवेदन मांगे और न चयन कमेटी बनाई। व्यक्तिगत आवेदनों पर ही जिसे चाहा उसे नौकरी दे दी। न संविधान के समानता के अधिकार का पालन किया और राज्य सरकार के कार्मिक विभाग की व्यवस्था की पूरी तरह से अनदेखी की गई।
विधानसभा की भर्तियों की जांच कर रही कमेटी ने अपनी 20 दिन की गहन जांच में वर्ष 2016 से वर्ष 2022 के बीच की गई 250 नियुक्तियों में हर नियम को उल्लंघन पाया। नियमों का यह उल्लंघन ही इन नियुक्तियों को निरस्त का मुख्य आधार बना है। जिसके बाद इन नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया गया। विधानसभा भर्ती में चयन के लिए कोई प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन न कर व्यक्तिगत रूप से अभ्यर्थियों से लिए गए आवेदनों पर ही मनमाने तरीके से नियुक्तियां दे दी गई।