बृहस्पतिवार को भगवान बदरीनाथ की महाभिषेक पूजा के बाद शीतकाल में वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो गया। वेद उपनिषदों को सम्मानपूर्वक मंदिर संरक्षण में रखा गया। बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि वेद मंत्रों की ऋचाओं की प्राचीन आठ शैलियां हैं।
वेद मंत्रों की प्राचीन शैली में ही आज भी बदरीनाथ धाम में वेद पाठ होते हैं। प्रतिदिन भगवान बदरीनाथ को वेद मंत्रों का एक अध्याय अर्पित किया जाता है। ग्रीष्मकाल में छह माह तक धाम में इन अध्यायों को पांच बार पढ़ने की परंपरा है। यह परंपरा आदि गुरु शंकराचार्य ने शुरू की थी।