कोरोना संक्रमण ने स्कूली बच्चों की मनोदशा पर खासा प्रभाव डाला है। संक्रमण के दौरान एकाकीपन और समूह की कमी की सबसे अधिक मार छात्रों के मानसिक विकास पर पड़ी है। अब जब स्थिति सामान्य हो गई है तब इन बच्चों की मनोदशा को बदलना अभिभावकों के साथ ही शिक्षकों के लिए चुनौती बन रहा है।कोरोना के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के मुकाबले ऑफलाइन कक्षाओं में ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है। बच्चों में स्कूल आने के लिए उत्साह है लेकिन कई घंटे तक जमकर कक्षा में बैठने से उनके चेहरे की रंगत फीकी पड़ रही है। बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो अभी तक अपना ध्यान पढ़ाई की ओर पूरी तरह से केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे छात्रों के साथ शिक्षकों को ज्यादा मेहनत करने पड़ रही है। एक ही विषयों को कई-कई बार समझाना पड़ रहा है। कई स्कूल प्रबंधन ने तो अपने स्कूलों में कमजोर छात्रों की अतिरिक्त कक्षाएं लेने के लिए शिक्षकों को कहा है ताकि वह कोर्स में पिछड़े नहीं। इसके अलावा स्कूल प्रबंधन बच्चों के मनोरंजन के लिए पढ़ाई के साथ खेल का समय दे रहे हैं। ताकि उनकी एकाग्रता बढ़े और पढ़ाई में मन लगे।