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• Wed, 27 Sep 2023 3:30 pm IST


जानिए हार्ट अटैक आने पर CPR की मदद कैसे और क्यों ली जाती है ?


सीपीआर हार्ट अटैक के बाद रोगी की जान बचाने के लिए एक कारगर उपाय है। कई मामलों में पाया गया कि हार्ट अटैक के बाद सीपीआर देकर रोगी की जान बचाई जा सकती है। आइए जानते हैं सीपीआर कैसे दिया जा सकता है और यह कितना कारगर इलाज साबित हो सकती है?

क्या है सीपीआर?- सीपीआर का मतलब कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन है। यह एक जीवन रक्षक तकनीक है, जो हार्ट अटैक जैसी आपात स्थिति में कारगर है। जब रोगी को दिल का दौरा पड़ता है या पानी में डूबने के बाद सांस नहीं आती है, तो इस तरह की स्थिति में सीपीआर दिया जाता है। सीपीआर के जरिए रोगी के शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का संचार किया जा सकता है।

कैसे देते हैं सीपीआर?- हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि सही तकनीक से सीपीआर देने पर रोगी की जान बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक के बाद प्रारंभिक स्तर पर इलाज का यह आवश्यक उपाय है। इससे हार्ट अटैक के कारण होने वाली मौत के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।विशेषज्ञ बताते हैं कि सीपीआर देने की एक विशेष तकनीक है। दिल का दौरा पड़ने पर 100-120/ मिनट की दर से छाती को दबाया जाता है। इस प्रक्रिया को करने के लिए दोनों हाथों को इस प्रकार से जोड़ें कि हथेली का निचला हिस्सा छाती पर आए। फिर हथेली को छाती के केंद्र के निचले आधे हिस्से पर रखकर दबाएं। छाती को 5 सेमी तक संकुचित करें। ध्यान रखें कि बहुत तेजी से दबाव नहीं डालना है।

सीपीआर देने से क्या होता है?- हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि सीपीआर की प्रक्रिया के जरिए कृत्रिम विधि से ह्रदय को रक्त पंप करने में मदद मिलती है और शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचने लगता है। दरअसल, दिल का दौरा पड़ने से ह्रदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। रक्त और ऑक्सीजन का संचार बाधित हो जाता है। सीपीआर तकनीक के जरिए छाती को दबाकर पूरे शरीर में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

सीपीआर के तुरंत बाद क्या करें?- दिल का दौरा पड़ने जैसी आपात स्थिति के बाद सीपीआर दिया है तो इसके तुरंत बाद विशेषज्ञ से संपर्क करना बहुत आवश्यक हो जाता है। सीपीआर ह्रदय घात का इलाज नहीं है, बल्कि कृत्रिम तौर पर शरीर में रक्त के संचार को बनाए रखने का एक आपात उपाय है।