उत्तरकाशी: पुरोला में अष्टादश महापुराण कक्षा का प्रवचन करते कथा वाचक शिव प्रसाद ने कहा कि संसार में माता-पिता की सेवा के बराबर कोई तप नहीं है। माता पिता की सेवा ही संसारिक जीवन में सबसे बड़ा पुण्य है।गुरूवार को नगर पंचायत पुरोला के कुमुदेश्वर नागराज मंदिर प्रांगण में चल रही अष्टादश महापुराण कथा के छठवें दिवस की कथा का प्रवचन करते व्यास शिव प्रसाद नौटियाल ने अठारह पुराणों,चार भेदों एवं ग्रंथों का सार बताया। कहा कि भगवान को कहीं खोजने की जरूरत नहीं, अहम, घमंड, त्याग कर प्रेम रूपी मंथनी से स्वयं के मन को मंथो तो ईश्वर की प्राप्ति होगी। प्रेमभाव व सद् विचार ही भागवत प्राप्ति के मार्ग है। इस मौके पर कथा का श्रवण करते पहुंचे श्रद्धालुओं ने पंडाल में विराजमान रंवाई घाटी के बनाल, ठकराल सहित रामा सिराईं व कमल सिराईं पट्टियों से आये एक दर्जन से अधिक देव डोलियों के दशर्न किए और अपनी कुशल क्षेम की कामना की।