जब कोई एक छोटे से फ्लैट से अपना स्टार्टअप शुरू करता है तो शायद ही सोचता होगा कि एक समय में उसका कारोबार अरबों के टर्नओवर का हो जायेगा। हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि काफी कम निवेश के साथ शुरू हुआ स्टार्टअप भी मल्टीनेशनल कंपनी में तब्दील हो जाता है। ऐसी ही कहानी है शॉपिंग साइट फ्लिपकार्ट की है। दरअसल, इस कंपनी की शुरुआत काफी कम निवेश के साथ दो कमरों से हुई थी लेकिन आज इसका टर्नओवर अरबों में है। आज फ्लिपकार्ट ब्रांड स्टोरी की सीरीज में शुमार हो चुका है। आइये जानते हैं फ्लिपकार्ट का पूरा सफर।
वैसे तो फ्लिपकार्ट सिंगापुर में एक प्राइवेट लिमिटेड के रुप में रजिस्टर्ड है लेकिन इसका भारतीय ऑनलाइन बाजार में काफी दबदबा है। इसकी शुरुआत 2007 में हुई थी। ये वो दौर था जब भारत में ऑनलाइन मार्केटिंग का ज्यादा क्रेज नहीं था। हालांकि इस वक्त दो लड़कों ने भांप लिया कि आने वाले वक्त में ऑनलाइन शॉपिंग लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन जायेगा। उस वक्त भारत में इंटरनेट यूजर की भी संख्या काफी कम थी। बावजूद इसके सचिन बंसल और बिन्नी बंसल नाम में दो लड़कों ने इसकी रूपरेखा बनाई और काम शुरू कर दिया।
सचिन और बिन्नी बंसल 2005 में आईआईटी दिल्ली में पढ़ाई करते थे और अच्छे दोस्त थे। पढ़ाई के बाद साल 2007 में दोनों की नौकरी भी लग गई, लेकिन दोनों ने नौकरी छोड़ दी और इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया। उस वक्त दोनों ने इस स्टार्टअप की शुरुआत दो कमरों के एक फ्लैट से की थी और करीब 4 लाख रुपये तक का इन्वेस्टमेंट किया। उस वक्त दोनों ने बेंगलुरु से इसकी शुरुआत की और अक्टूबर 2007 में डिलिवरी के जरिए काम शुरू किया। धीरे-धीरे कंपनी के शिपमेंट में इजाफा होने लगा। एक साल में साढ़े तीन हजार के शिपमेंट डिलीवर कर दिए गए। इसके बाद 2009 में इसमें बड़ा विस्तार हुआ और दोनों को 1 अरब डॉलर की फंडिंग मिली।
अब ये कंपनी 150 लोगों की हो गई, फिर इसने कई दूसरी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिसमें Weread, MIME 360, ईलेटर लेट्स बॉय, पेजिप शामिल हैं। ये सिलसिला 2013 तक चला और कंपनी की नेटवर्थ लगातार में दिन दूनी रात चौगुनी की बढ़ोतरी होती गई। इसी साल यानी 2013 में ही इसके ऐप की लांचिंग हुई और कंपनी अपने बिजनेस में विस्तार करती गई। 2015 में एक बार फिर कंपनी को 1.2 अरब डॉलर की फंडिंग मिली और इसके बाद बाद बिन्नी बंसल ने फ्लिपकार्ट का पूरा काम संभाल लिया। साल 2018 तक कंपनी लगातार आगे बढ़ती रही लेकिन मई 2018 में वॉलमार्ट ने कंपनी की 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली। एक समय में महज 4 लाख से शुरू हुई इस कंपनी की मौजूदा वैल्यू 37.6 बिलियन डॉलर हो गई है।