सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना भी अपराध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट अपने ही दिए फैसले को बदल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना ही UAPA के तहत कार्रवाई का आधार बन सकता है। इससे पहले साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अरूप भुयन बनाम असम सरकार, इंदिरा दास बनाम असम सरकार और केरल सरकार बनाम रनीफ मामलों में दिए अपने फैसले में कहा था कि गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना ही गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आधार नहीं हो सकता, जब तक कि वह किसी हिंसा की घटना में शामिल ना हो।
जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने अपने फैसले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 10(ए)(1) को भी सही ठहराया है, जो गैरकानूनी संगठन की सदस्यता को भी अपराध घोषित करती है।