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• Thu, 16 May 2024 1:26 pm IST


आखिर कब तक उत्तराखंड के लोगों को मेट्रो का झूठा दिलासा देगी सरकार ?


पिछले एक दशक से उत्तराखंड के लोगों को मेट्रो प्रोजेक्ट का सपना दिखाया जा रहा है. जिसको लेकर साल 2017 में उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन बोर्ड का गठन भी किया गया था. उत्तराखंड मेट्रो बोर्ड के पहले अध्यक्ष के रूप में दिल्ली मेट्रो से एक अनुभवी अधिकारी जितेंद्र त्यागी को मेट्रो कॉरपोरेशन का एमडी भी नियुक्त किया गया. उत्तराखंड में उस समय हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. उस समय उत्तराखंड के लोगों ने मेट्रो को लेकर अपने मन में जितने भी सपने बुने, वह आज तक केवल सपने ही रह पाए हैं.

भाजपा की सरकार में नहीं हुआ मेट्रो का काम: 2017 विधानसभा चुनाव के बाद उत्तराखंड में भाजपा की सरकार आई. इस दौरान मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर कुछ ना कुछ चर्चाएं होती रहीं, लेकिन धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आया. मेट्रो प्रोजेक्ट की विजिबिलिटी और रिलायबिलिटी को लेकर कई बार अलग-अलग स्तर पर चर्चा हुई. कई बार देहरादून में अन्य ट्रांसपोर्ट सिस्टम के विकल्पों को लेकर भी शासन और सरकार के स्तर पर चर्चाएं हुईं. इतना ही नहीं उत्तराखंड में सरल पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था देने को लेकर के सरकार के कई दल विश्व के अन्य ऐसे शहरों में भी गए, जहां पर देहरादून जैसी परिस्थितियां हैं. लेकिन इतनी कवायद के बावजूद उत्तराखंड के तमाम मेट्रो प्रोजेक्ट जिनमें देहरादून ऋषिकेश और हरिद्वार शहर शामिल हैं, वहां अब तक मेट्रो के नाम पर एक नई ईंट तक नहीं लग पाई है.

केंद्र सरकार ने मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर किए हाथ खड़े: उत्तराखंड के मेट्रो प्रोजेक्ट्स को लेकर अगर मौजूदा परिस्थितियों की बात करें, तो उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी ने बताया कि देहरादून मेट्रो प्रोजेक्ट का प्रस्ताव पिछले दो सालों से भारत सरकार के पास गया हुआ है. पिछले दो सालों से अब तक देहरादून के मेट्रो प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार से हरी झंडी नहीं मिल पाई है. उन्होंने बताया कि देहरादून ही नहीं बल्कि देश के कई ऐसे शहर हैं, जहां पर मेट्रो प्रोजेक्ट के प्रस्ताव केंद्र सरकार में पेंडिंग में हैं. इन शहरों में बनारस, गोरखपुर, नासिक जैसे महत्वपूर्ण शहर भी शामिल हैं. उनका कहना है कि अब नए शहरों से ज्यादा जिन शहरों में पहले से मेट्रो उतर गई है, उनको अधिक सुगम और विस्तृत करना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है, ताकि एंड टू एंड कनेक्टिविटी दी जा सके.