रुड़की।ज्योतिष गुरुकुलम्,पुरानी तहसील रुड़की में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरु पूर्णिमा महोत्सव एवं व्यास जयंती मनाई गई।ज्योतिषाचार्य गुरुदेव रमेश सेमवाल ने कहा कि गुरु का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है।गुरु अंधकार को दूर करते हैं और ज्ञान रूपी प्रकाश शिष्यों को प्रदान करते हैं।हमारी सर्वप्रथम गुरु मां होती है जो हमारी जननी है,वही हमें संस्कार देती है।मां संसार की सर्वश्रेष्ठ गुरु है। आचार्य रमेश सेमवाल ने युवाओं का आह्वान किया की माता-पिता के प्रति,गुरु के प्रति सम्मान रखना आवश्यक है।गुरु हमारा मार्गदर्शक होता है,जिसका गुरु नहीं होता,उसका कोई नहीं होता।भगवान श्रीकृष्ण भी गुरु के श्रीचरणों में आशीर्वाद लेते थे।प्रभु श्रीराम भी गुरु चरणों में आशीर्वाद लेते थे और उनके मार्गदर्शन में आगे बढ़ते थे।एकलव्य ने अपना अंगूठा काटकर गुरु द्रोणाचार्य को भेंट कर दिया था।अर्जुन की अपने गुरु पर पूर्ण निष्ठा थी,इसलिए हमें निरंतर गुरु के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए।भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान है।उन्होंने भक्तों से कहा कि इस तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा,गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा फलदाई होती है,किंतु गुरु को समर्पित है।गुरु पूर्णिमा को भारत में बेहद ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।शास्त्रों के अनुसार इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।श्री व्यास को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है,क्योंकि उन्होंने पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था।भारतीय धर्म साहित्य और संस्कृति में ऐसे दृष्टांत भरे पड़े हैं,जिनसे गुरु का महत्व प्रकट होता है,इसके अलावा कई शास्त्रों में श्लोकों के जरिए गुरु की महिमा और महत्व का वर्णन किया गया है।