बैरिग महाराज की सात दिवसीय भराड़सर पद यात्रा संपन्न हो गई। पद यात्रा में गांव-गांव से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी। यात्रा संपन्न होने के बाद अब तीन से पांच अगस्त तक सौणयासी मेले का आयोजन किया जाएगा।
पांच वर्ष के अंतराल पर सावन मास में बैरिग महाराज की सात दिवसीय भराड़सर पद यात्रा का आयोजन किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवता की कंडियों को लेकर 300 किमी नंगे पांव चलकर यात्री ऋषियों की तपस्थली व बैरिग महाराज के चार भाइयों के उत्पत्ति स्थल भराड़सर ताल बुग्याल पहुंचते हैं। इस ताल को पाप नाशक व कष्ट हरने वाला कहा जाता है। यही वजह है कि यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ता है। बैरिग महाराज ऋषि रूप में खीड़मी गांव में स्थापित हैं। इसी नाम से एक भाई फते पर्वत दौणी, दूसरा भाई भीतरी, तीसरा भाई बंगाण क्षेत्र के गोकुल गांव और चौथा भाई हिमाचल के डोडराक्वार में स्थापित हैं। सातवें वर्ष सभी भाइयों की मुलाकात गांव में मूर्तियों के रूप में होती है।