नई दिल्ली: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर नियंत्रण से जुड़ा विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। इस पर सदन में विपक्षी नेताओं ने हंगामा किया और ‘शेम-शेम’ के नारे लगाए। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ये बिल संविधान का उल्लंघन है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने का प्रयास है।
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री
अमित शाह ने कहा कि संविधान, संसद को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देता है। बिल
के विरुद्ध जो बयान दिए जा रहे हैं, वो सिर्फ राजनीतिक हैं और उनका कोई आधार नहीं है। इस बिल का नाम
गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 (GNCT) है। सदन में इसे
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पेश किया।
पिछले माह ही अध्यादेश को मिली थी मंजूरी
इस अध्यादेश को 25 जुलाई को केंद्रीय
कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। इसे लेकर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा
ने कहा कि इससे दिल्ली में लोकतंत्र 'बाबूशाही' में तब्दील हो जाएगा। चुनी हुई सरकार की सारी शक्तियां छीनकर बीजेपी के
नियुक्त किए गए LG (उप राज्यपाल) को दे दी जाएंगी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 19 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर
अध्यादेश जारी किया था। इस अध्यादेश में उसने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के उस फैसले
को पलट दिया, जिसमें ट्रांसफर और
पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को मिला था। केंद्र ने अध्यादेश के जरिए दिल्ली
में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार LG को दे दिए थे।
दिल्ली सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची तो CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि हम यह मामला पांच जजों की संविधान पीठ को भेजना
चाहते हैं। फिर संविधान पीठ तय करेगी कि क्या केंद्र इस तरह के संशोधन कर सकता है
या नहीं?