हरक सिंह राणा मूल रूप से रैणी गांव के ही निवासी हैं और लंबे समय से उनका परिवार हरिद्वार में है। चमोली आपदा के बाद से हरक सिंह टीम के साथ रैणी और तपोवन क्षेत्र में राहत-बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
सात फरवरी को जल प्रलय से पहले सौंणी देवी गांव के जलस्रोत पर पानी भरने गई थी, जबकि उसकी पुत्री मंजू रावत घर के कमरे में ही थी।
सात फरवरी को सुबह करीब साढ़े नौ बजे अचानक से ऋषिगंगा में मलबा आया और सौंणी देवी के आधे मकान को बहा ले गया था ।
मंजू कमरे में फंसी रही और मकान की छत टूटने के कारण मंजू बाहर नहीं आ सकी और वह मकान की चौखट को पकड़कर नीचे बैठ गई। चौखट के समीप दीवार थी जिससे वह मलबे में दबने से बच गई।