कस्तूरबा गांधी छात्रावास की बालिकाओं को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। वर्ष 2017 से शुरू किए गए हॉस्टल के लिए अभी तक पानी की स्थायी व्यवस्था नहीं हो पाई, जिससे छात्राओं को छात्रावास से करीब चार सौ मीटर दूर हैंडपंप पर मोटर लगाकर किसी तरह पानी की कामचलाऊ व्यवस्था कराई जा रही है। बिजली गुल होने और मोटर खराब होने की स्थिति में छात्राओं को पानी के लिए भटकना पड़ता है।गुसाईं पट्टी के कौशल ग्राम पंचायत क्षेत्र में वर्ष 20017 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की छात्राओं के लिए करोड़ों की लागत से छात्रावास बनाया गया। भवन निर्माण के दौरान ग्रामीणों ने गांव की पेयजल योजना से कनेक्शन दिया था, लेकिन छात्रावास शुरू होते ही ग्रामीणों ने पानी की कमी का हवाला देते हुए छात्रावास की पेयजल लाइन बंद कर दी। समस्या को देखते हुए किसी तरह छात्रावास से करीब चार सौ मीटर नीचे हैंडपंप पर मोटर लगाकर पानी की व्यवस्था कराने पर उन्हें बहुत कम पानी से काम चलाना पड़ रहा है, लेकिन अक्सर बिजली गुल रहने और मोटर खराब होने की स्थिति में छात्राओं को पानी के लिए गांव में भटकना पड़ता है। वार्डन बीना शर्मा और सुनीता थपलियाल ने बताया कि छात्रावास में 128 छात्राएं हैं। छात्रावास में स्थायी पेयजल लाइन बिछाने की मांग लगातार करते आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इस बाबत पेयजल निगम के अवर अभियंता राजवीर राणा ने कहा कि कौशल गांव की पेयजल लाइन की मरम्मत के लिए 80 लाख की स्वीकृति मिल गई है। पुनर्गठन का कार्य पूरा होते ही छात्रावास के लिए भी अलग से पेयजल कनेक्शन दिया जाएगा।