वर्ष 2018 में बाढ़ में बह गई सुरिगगाड़ जल विद्युत परियोजना तीन वर्ष में बनकर फिर से तैयार हो गई है। 50 करोड़ की लागत से बनी परियोजना अब हर रोज पांच मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगी। इससे सरकार को तीन लाख रुपये रोज की आमदनी तो होगी ही बिजली की समस्या से जूझ रहे चीन सीमा के दर्जनों गांवों का अंधेरा भी दूर होगा। 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन सीमा पर बनी इस परियोजना को देश को समर्पित करेंगे।
मुनस्यारी तहसील अंतर्गत बहने वाले सुरिगगाड़ नाले में माइक्रोहाइडिल के माध्यम से जल विद्युत परियोजना बनाई गई थी। 800 किलोवाट की इस परियोजना को पांच वर्ष के अंतराल में दो बड़ी आपदाएं झेलनी पड़ी। वर्ष 2013 में राज्य में आई भीषण आपदा में परियोजना बह गई। माइक्रोहाइडिल ने इसे फिर खड़ा किया, जैसे तैसे योजना चल रही थी कि वर्ष 2018 में आई बाढ़ पूरी योजना को ही बहा ले गई। निगम ने इसके बाद योजना के स्थल को बदलने के साथ ही इसका आकार बढ़ा इससे पांच मेगावाट बिजली हर रोज पैदा करने का प्रस्ताव तैयार किया। नाबार्ड ने निगम के इस प्रस्ताव को स्वीकृत करते हुए 50 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की। तीन वर्ष में निगम ने योजना को तैयार कर लिया। निगम के अधिशासी अभियंता ऋषि कुमार ने बताया कि नई योजना पूरी तरह रिवर रन तकनीक से बनी है। इसमें पानी को जमा नहीं किया जाएगा। बहते पानी से ही बिजली का उत्पादन होगा।