जय जवान जय किसान ,आप सब जानते हैं यह नारा किसने दिया था, यह नारा भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने दिया था, शास्त्री जी का ये नारा जवान और किसान की मेहनत को दर्शाता है उनके इस नारे का प्रयोग आज भी रैलियों और सभाओं में किया जाता है.
शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। यह वही शास्त्री जी थे जिनके 5 फुट 2 इंच के कद और आवाज का अयूब खान ने मजाक उड़ाया था लेकिन 1965 में यही 5 फुट 2 इंच का व्यक्ति उन पर भारी पड़ गया। तब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के हमलों का जोरदार जवाब दिया. भारत ने 6 सितंबर को पंजाब फ्रंट खोला और भारतीय सैनिक बरकी तक जा पहुंचे, लाहौर अब दूर नहीं था. भारतीय सेना लाहौर के हवाई अड्डे पर हमला करने की सीमा के भीतर पहुंच गयी थी।
अमेरिका ने घबराकर अपने नागरिकों को लाहौर से निकालने के लिए कुछ समय के लिए युद्धविराम की अपील की, अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री जी को धमकी दी कि अगर युद्ध नहीं रुका तो गेहूं भारत भेजना बंद कर दिया जाएगा। उस समय हम अमेरिका की पीएल-480 स्कीम के तहत अमेरिका से गेहूं लेते थे क्योंकि उस समय भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था यह बात शास्त्री जी को चुभ गई
इसके बाद अक्टूबर 1965 में दशहरे के दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में शास्त्री जी ने देश की जनता को संबोधित किया उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की साथ ही कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने पहली बार 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया था।
जब वे प्रधानमंत्री थे, तो उनके परिवार ने उन्हें एक कार खरीदने के लिए कहा था। उन्होंने जो फिएट कार खरीदी वह 12,000 रुपये में थी। लेकिन उनके बैंक खाते में केवल 7,000 रुपये थे, इसलिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5,000 रुपये के बैंक कर्ज के लिए आवेदन किया। और किस्तो पर कार को खरीदा। कार को आज नई दिल्ली के शास्त्री मेमोरियल में रखा गया है।
लाल बहादुर शास्त्री जी 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद को अंतिम सांस ली थी। उनकी मृत्यु को आज भी एक रहस्य माना जाता है। वह भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थे। हम सबको ऐसे प्रधानमंत्री पर गर्व है जय हिंद