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DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 15 Apr 2023 9:31 pm IST

नेशनल

जी-7 मंत्रियों की बैठक में भारत ने अमीर देशों से कार्बन उत्सर्जन कटौती में तेजी लाने का किया आह्वान


नई दिल्ली: जापान के सप्पोरो में जलवायु, ऊर्जा और पर्यावरण के मुद्दे पर जी-7 मंत्रियों की हुई बैठक में भारत ने कहा कि 2050 तक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन ‘नेट जीरो’ करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए विकसित देशों को अपने उत्सर्जन में कटौती की दर को तेज करना होगा। जी-7 मंत्रियों के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि इससे भारत जैसे विकासशील देशों को अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि साथ ही इससे जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक असर के खिलाफ तैयारी भी की जा सकेगी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण चुनौतियों से निपटने के लिए योजनाओं को लागू करने, वित्त और प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्रदान करने की जरूरत है। यादव ने कहा, ‘वर्ष 2050 में वैश्विक लक्ष्य उत्सर्जन को ‘नेट जीरो’ (कुल शून्य) को हासिल करने के लिए विकसित देशों को उत्सर्जन में कटौती करने की जरूरत है। इससे भारत जैसे विकासशील देशों को अपने लोगों को विकसित बनाने का अवसर मिलेगा जो उन्हें जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण गुणवत्ता में कमी और प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए जरूरी है।’ ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन का अभिप्राय है कि वातावरण में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन और अवशोषण का अनुपात बराबर होना है। यादव ने कहा, ‘आईपीसीसी एआर-6 रिपोर्ट ने इस बात पर फिर बल दिया है कि विकास जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए हमारी पहली रक्षा पंक्ति है।’ यहां जारी बयान में मंत्री के हवाले से कहा गया, ‘हम उम्मीद करते हैं कि विकसित देश जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर जताई गई वित्तीय प्रतिबद्धता को पूरा करेंगे, साथ ही पर्यावरण हानि और जैव विविधता से निपटने में भी सहायता करेंगे।’ यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतिगत मसौदा तैयार करने की कोशिशें की जा रही है और अब दुनियाभर की सरकारों के लिए अनिवार्य है कि वे लोगों को शामिल करें और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में जनभागीदारी सुनिश्चित करें। गौरतलब है कि जी-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन सदस्य हैं। पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक भारत में दुनिया की करीब 17 प्रतिशत आबादी रहती है जबकि वह दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन में महज चार प्रतिशत का योगदान करती है। जबकि विकसित देशों की इतनी ही आबादी दुनिया में 60 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।