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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 26 Jun 2022 7:14 pm IST

न्यूज़ एनालिसिस

सपा के नाम पर लोकसभा-राज्यसभा में नहीं मिलेगी बैठने की सीट!


रामपुर-आजमगढ़ की हार से सपा को दलीय मान्यता का संकट

दिनेश सिंह

लखनऊ: लोकसभा के उपचुनाव में रविवार को रामपुर और आजमगढ़ की दोनों सीटें गंवाने के बाद समाजवादी पार्टी बड़े संकट में फंस गई है। दरअसल, दलीय मान्यता के लिए किसी पार्टी के लोकसभा में पांच सदस्य और राज्यसभा में भी पांच सदस्य जरूर होने चाहिए। आज लोकसभा उपचुनाव में दो महत्वपूर्ण सीटें गंवाने के बाद सपा अब इस स्थिति में भी नहीं है कि वह अपनी पार्टी के नाम पर लोकसभा और राज्यसभा में सीट पा सके। इस हार से सपा को बड़ा नुकसान हुआ है।

अभी तक समाजवादी पार्टी में लोकसभा के पांच सदस्य थे। इनमें मैनपुरी से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, आजमगढ़ से पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, रामपुर से आजम खां, मुरादाबाद से एसटी हसन और संभल से शफीकुर्रहमान बर्क संसद रहे हैं। इनमें अखिलेश यादव के छोड़ने से आजमगढ़ सीट और आजम खां के छोड़ने से रामपुर की सीट खाली हुई थी। जिन पर आज आजमगढ़ से दिनेश लाल निरहुआ और रामपुर से घनश्याम लोधी ने जीत का परचम बुलंद किया है।


प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा के उपचुनाव में जिस तरह से लंबी लकीर खींच दी है, उसे पार्टी को तो मजबूती मिली ही साथ ही पार्टी के भीतर उनका कद भी काफी बढ़ गया है।

हर बार उपचुनाव में मात खाती रही भाजपा

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत के बाद यूपी समेत देशभर में भाजपा ने जितने भी उपचुनाव लड़े, उनमें बराबर हार का ही मुंह देखना पड़ता रहा है। हालांकि, मुख्य चुनाव में उसकी जीत पर यह साया नहीं पड़ता था। ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में यह मिथक तोड़ दिया है। उनकी अगुवाई में पार्टी ने विधानसभा का चुनाव जीता। इसके बाद लोकसभा के उपचुनाव में न केवल जीत दर्ज की बल्कि सारे कयासों को धता बताते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव के गढ़ आजमगढ़ और आजम खां के गढ़ रामपुर में भी भगवा लहरा दिया। यही नहीं यादव परिवार की सबसे सुरक्षित सीट बन चुकी आजमगढ़ सीट को भी कुशल रणनीति से अपने पाले में कर लिया।

अब यह माना जाने लगा है कि सपा के लिए इस हार के बाद अब कोई भी सीट सुरक्षित नहीं बची है। राजनीतिक पंडितों के लिए यह दोनों सीटों पर भाजपा की जीत किसी आश्चर्य से कम नहीं। साफ तौर पर यह योगी आदित्यनाथ की जीत है। जनता में लगातार उनका कद बढ़ता ही जा रहा है। सबसे खास बात तो यह है कि आजमगढ़ में जहां 26 फीसदी यादव, 24 फीसदी मुसलमान और 20 फीसदी दलित हों, वहां कमल खिलना अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

राज्‍यसभा में भी दलीय मान्‍यता का खतरा

अब बात करते हैं राज्यसभा में सपा की हालत की तो यहां पर पार्टी के जावेद अली, समाजवादी पार्टी समर्थित निर्दलीय कपिल सिब्बल के साथ रालोद के जयंत चौधरी को निर्वाचित घोषित किया गया है। अब क्योंकि राज्यसभा में भी दलीय मान्यता के लिए पांच सदस्य कम से कम होने जरूरी हैं, लेकिन सपा के महज तीन ही सदस्य बचे हैं। इसलिए दलीय मान्यता का खतरा राज्यसभा में भी मंडरा रहा है।