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DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 15 Jan 2022 4:06 pm IST


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उत्तराखंड में मकर संक्रांति पर मनाये जाने वाले लोकपर्व घुघुतिया के मुख्य अतिथि कौव्वे संकट में हैं। शुक्रवार को कुमाऊं के तमाम हिस्सों में लोग भोग लगाने के लिए कौव्वों को बुलाते रहे लेकिन गिनती के कौव्वे नजर आए। पक्षी विशेषज्ञ मानते हैं कि शिकारी पक्षी माने जाने वाले गिद्ध के बाद अब कौव्वे भारी संकट में हैं।

पर्यावरणविद्धों का मानना है कि ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि बीज खाने वाले संकटग्रस्त पक्षियों को बचाने के लिए तो पहल की जा रही है लेकिन शिकारी पक्षियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। लोकपर्व घुघुतिया के साथ उत्तराखंड में तमाम मान्यताएं जुड़ी हैं। सबसे खास है पौष महीने की अंतिम रात को पकवान बनाकर माघ की पहली सुबह कौव्वों को खिलाने की परंपरा।

लेकिन बीते कुछ सालों से कव्वों की कमी से अनुष्ठान पूरा नहीं हो पा रहा है। इसके पीछे कौव्वों की गिरती संख्या बड़ी वजह है। सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च देहरादून में डायरेक्टर डॉ. विशाल सिंह कहते हैं ये संकट पिछले पांच दशकों से पर्यावरण, मौसम और रहन-सहन में आ रहे बदलावों की वजह से उपजा है। यही वजह है पिछले एक दशक में ही पक्षियों की कई प्रजातियां गायब हो गई हैं।