मनुष्य का प्रकृति व वन्य जीवों से सदा से गहरा नाता रहा है, लेकिन चमोली जिले के केवर गांव के दर्शन लाल और उनकी पत्नी उमा देवी हिरन के बच्चे को पिछले 18 माह से औलाद की तरह पाल रहे हैं। उसका नामकरण कर बच्चे का नाम जूली रख दिया है।सही तरह से पालन पोषण होने से बच्चा बड़ा हो चुका है, लेकिन वन अधिनियम आड़े आने के बाद अब दंपती ने इसे वन विभाग को सौंपना चाहते हैं। वन विभाग की मजबूरी यह है कि जूली कभी वन्यजीवों के साथ रही ही नहीं वह न तो जंगली जानवरों की भाषा समझती है और न ही खतरे की आहट जानती है। वह हमेशा दंपती के साथ ही सोती है। उनका यह पशु प्रेम समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन चुका है। उनकी वन्य जीवों के प्रति ममता वन्यजीवों की तस्करी और अवैध शिकार करने वालों के लिए तमाचे से कम नहीं है।