बागेश्वर। कहते हैं मेहनत कभी बेकार नही जाती। यदि इंसान लगन के साथ मेहनत करे तो उसे सफलता अवश्य मिलती है। बागेश्वर जिले के जारती के बागवान ने यही कर दिखाया है।
जारती के बागवान भूपेंद्र सिंह मेहता ने जंगल की शोभा बुरांश को घर की बगिया में लगाने की सोची। तीन साल पहले मेहता ने घर के पास जंगल से लाकर बुरांश का पौधा लगाया। अब बुरांश के पेड़ पर खूबसूरत फूल लगने लगे हैं। इस सीजन में पैदा होने वाला बुरांश अपनी खूबसूरती से मन तो मोहता ही है, बुरांश का जूस दिल की बीमारी में बेहद कारगर माना जाता है।
पत्थरचट्टा, शिलफोड़ नाम से भी जाने जाने वाले पाषाणभेद को भूपेंद्र ने घर के गमले में उगा डाला है। पाषाणभेद को पथरी की बीमारी की अचूक दवा माना जाता है। पहाड़ में वन सुपारी के नाम से विख्यात यह जड़ी जंगलों में पाई जाती है। पत्थरों के बीच पैदा होने के कारण ही इस जड़ी का नाम पाषाणभेद, पत्थरचट्टा पड़ा। जड़ी का सुपारी की तरह स्वाद होता है। पथरी की बीमारी में कारगर होने के कारण ही इसे सिलफोड़ नाम से जाना जाता है। भूपेंद्र मेहता का कहना है कि उनकी बुरांश और पाषाणभेद को बड़े स्तर पर पैदा करने की योजना है, ताकि लोग इससे प्रेरित हो सकें।