सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु में रहने वाले स्मार्त ब्राह्मणों को अल्पसंख्यक नहीं मानती है। इसलिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के स्मार्त ब्राह्मण को धार्मिक संप्रदाय न मानकर अल्पसंख्यक का दर्जा न देने वाले आदेश को भी बरकरार रखा है। जज कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि, बहुत से लोग अद्वैत दर्शन का पालन करते हैं। ऐसे में अगर हम स्मार्त ब्राह्मणों को अल्पसंख्यक का दर्जा देते हैं तो उस स्थिति में हमारे पास अल्पसंख्यकों का देश होगा।
बतादें कि, इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि, स्मार्त ब्राह्मण भारत के संविधान के अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता) के तहत लाभ के हकदार नहीं हैं। स्मार्त ब्राह्मण खुद को एक धार्मिक संप्रदाय नहीं कह सकते हैं।