मौसम के मिजाज के साथ ही वर्तमान में उत्तराखंड के जंगलों में आग रूपी आपदा ने चिंता बढ़ाई हुई है। आग से न केवल आरक्षित, सिविल व वन पंचायत क्षेत्र बल्कि वन्यजीव परिक्षेत्र यानी संरक्षित क्षेत्र भी निरंतर झुलस रहे हैं। यह ठीक है कि आग पर नियंत्रण का महती दायित्व वन विभाग का है, लेकिन आपदा से कोई भी अकेले पार नहीं पा सकता।
जंगल की आग आपदा की श्रेणी में शामिल है तो इसके लिए वन समेत समेत अन्य सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ आगे आकर कदम बढ़ाने होंगे। चूंकि, जिला स्तर पर आपदा नियंत्रण को जिलाधिकारी के पास अधिकार होते हैं तो उन्हें पूरे तंत्र को सक्रिय करना होगा। इसी कड़ी में शासन ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश भी जारी किए हैं कि वे जंगलों की आग पर नियंत्रण में सहयोग दें। ये अच्छी पहल है। देखना होगा कि यह कितना रंग जमा पाती है।