भारतीय सदन में गुलाम नबी आजाद ने कुछ इस तरह अपने 41 साल के सफर को अलविदा कहा, आपको बता दें, कि आजाद सदन में अपना आखिरी भाषण दिया साथ ही उन्होंने कहा कि “गुजर गया वो जो छोटा सा इक फसाना था, फूल थे , चमन था, आशियाना था,न पूछ उजड़े नशेमन की दास्तां, न पूछ थे चार दिन के मगर नाम आशियाना तो था” । साथ ही आजाद ने कहा ,” बदलेगा न मेरे मौजू – ए-गुफ्तगू, मैं जहां हूंगा, मगर तेरी महफिलों में रहूंगा