पर्यटन और तीर्थाटन के प्रमुख केंद्र उत्तराखंड में उत्तरकाशी को छोड़कर अन्य किसी भी जिले में ट्रेकिंग और गाइड के लिए सिंगल विंडो सिस्टम नहीं है। ऐसे में ट्रैकर व गाइड का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है जिससे प्रशासन के पास ट्रैकरों को कोई डाटा नहीं होता है। ऐसे में यदि वे कभी किसी रूट में फंसते हैं तो प्रशासन को तत्काल इसकी सूचना नहीं मिल पाती है।
बीते तीन वर्षों में चोपता में ढाई लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे हैं लेकिन ट्रैकरों की कोई जानकारी नहीं है। ट्रैकरों व गाइडों का कहीं पंजीकरण नहीं हो रहा है जिससे न तो इनके आने का पता चल पता है और न ही वे किस रूट पर गए हैं इसकी जानकारी होती है। ट्रैकरों के पास अनुमति के नाम पर बस वन विभाग का पत्र होता है लेकिन वे किस रूट पर जा रहे हैं इसकी जानकारी नहीं होती है। फंसने की स्थिति में ही पुलिस व आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम को सूचना मिलती है।