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• Thu, 21 Jan 2021 5:23 pm IST


कौन कहता है की आसमान पर छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों



नवाजुद्दीन सिद्दिकी

एक गरीब किसान परिवार में जन्में नवाजुद्दीन आठ भाई-बहन थे. उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्में नवाजुद्दीन के लिए फिल्मों का सफर इतना आसान नहीं था.

उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में केमिस्ट शॉप पर काम करने के साथ चौकीदार की नौकरी तक की. वक्त बीतने के साथ नवाजुद्दीन को फिल्मों में ब्रेक मिला और आज वो बॉलीवुड में अपनी नई पहचान रखते हैं.


डायरेक्टर अनुराग कश्यप की नज़र नवाज़ पर पड़ी और उन्होंने नवाज़ से वादा किया की वो नवाज़ को लेकर एक फिल्म जरूर बनायंगे । नवाज़ कामयाबी के एकदम करीब थे लेकिन कामियाबी अभी तक सही मायनो में मिली नही थी लेकिन उनकी मेहनत और उनके हौसला कभी नही टुटा और फिर उन्हें एक फ़िल्म मिली ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’।



        इस फ़िल्म ने नवाज़ की जिंदगी ही बदल दी. वो कहते हैं न ‘बिग ब्रेक’ स्ट्रगल पर ‘बिग ब्रेक’।  फिर इसी साल नवाज़ की दूसरी फ़िल्म ‘मिस लवली’ भी रिलीज़ हुई इस फ़िल्म में नवाज़ लीड रोल में थे,  इसके बाद तिग्मांशु धुलिया की फ़िल्म ‘पान सिंह तोमर’ ने नवाज़ को एक अलग पहचान दी , इसके बाद ‘पीपली लाइव और आई ‘कहानी’ फ़िल्म में नवाज़ की एक्टिंग को काफी तारीफ मिली। फिर क्या था नवाज़ुद्दीन सिद्दकी से बना फैजल खान ने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा।


अब नवाज़ भीड़ का हिस्सा नही थे और न ही उनको किसी छोटे मोठे रोल के लिए जद्दोजहद करने की जरूरत थी . नवाज़ ने फ़िल्म इंडस्ट्री में खुद को साबित करने के लिए 14 साल लम्बा सफ़र तय किया। जिसमे वो कई बार गिरे कई बार टूटे लेकिन उनके हौसले बुलन्द थे जिन हौसलो ने आज उन्हें इस मुकाम पर पहुचा दिया की उनकी एक्टिंग का लोहा आज दुनिया मानती है.