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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 3 Aug 2021 9:05 am IST


अभिभावकों की सहमति ना मिलने से घटी विद्याथियों की संख्या


सरकारी स्कूलों में पहले दिन 20 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति के पीछे अभिभावकों का डर जिम्मेदार रहा। ज्यादातर अभिभावक अपनी गारंटी पर बच्चों को भेजने को तैयार नहीं हैं। इसी वजह से बच्चे स्कूल नहीं आ पाए और संख्या इतनी कम रही। लेकिन विभाग इससे ना तो हतोत्साहित है ना ही नाउम्मीद। शिक्षकों और अधिकारियों को उम्मीद है कि धीरे धीरे बच्चों की संख्या बढ़ेगी। उनका मानना है कि अभी अभिभावकों की कम जानकारी और लिखकर ना देने के कारण छात्र संख्या कम है। जब ज्यादारत अभिभावक भेजने लगेंगे तो बाकियों को खुद ही बच्चों को भेजना पड़ेगा। राइंका छरबा के प्रिंसिपल राम बाबू विमल के अनुसार उनके स्कूल में नौवीं से बाहरवीं तक 277 बच्चे पंजीकृत हैं, जबकि आए सिर्फ 68। उनके अनुसार सरकारी स्कूलों के बच्चों के अभिभावक ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है। जिस कारण वे ये जिद पर हैं कि स्कूल बच्चों को कोरोना ना होने की गारंटी दे। जो संभव नहीं है। उन्हें समझाकर बच्चों के भविष्य के लिए सही फैसला लेने को कहा जाएगा।