राजकीय मेडिकल कॉलेज का रेडियोलॉजी विभाग अत्याधुनिक मशीनों से लैस है। सस्ते में मरीजों को सुविधा उपलब्ध कराने के बावजूद विभाग की अच्छी आय होती है। हैरानी की बात यह है कि इस विभाग को सरकार निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। किसी भी अस्पताल की तरह ही मेडिकल कॉलेज के एसटीएच में भी रेडियोलॉजी सबसे महत्वपूर्ण विभागों में से एक है।
इलाज के लिए आए मरीज की दो तरह की जांच होती हैं एक पैथोलॉजी और दूसरी रेडियोलॉजी संबंधी। एसटीएच में अत्याधुनिक मशीनों से अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, एमआरआई व सीटी स्कैन होता है। अगस्त में यहां रेडियोलॉजिस्ट डॉ. तपिस राइपा ने ज्वाइंन कर लिया है। इधर एक और रेडियोलॉजिस्ट ने इंटरव्यू देकर ज्वाइन करने की इच्छा जताई है। विभाग में करीब 14 से ज्यादा अनुभवी टेक्नीशियन भी है।
जिसके चलते रोजाना करीब 35 एमआरआई, 40 अल्ट्रासाउंड, 350 डिजिटल एक्सरे सहित 500 से ज्यादा जांच होती हैं। इन सबसे कॉलेज प्रबंधन की प्रतिदिन डेढ़ लाख से अधिक और महीने में करीब 47 लाख की आय होती है। जानकारों का कहना है कि इसमें से यदि फिल्में जो एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन में इस्तेमाल होती हैं, उनका खर्चा निकाल भी दिया जाए तब भी विभाग को हर माह 25 लाख रुपये बचते हैं।