उज्जैन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 856 करोड़ रुपये की लागत वाली भव्य और दिव्य महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना 'श्री महाकाल लोक' के पहले चरण का उद्घाटन किया। मध्य प्रदेश की उज्जैन स्मार्ट सिटी के तहत 856 करोड़ रुपये की यह परियोजना 2017 में शुरू हुई थी। पीएम मोदी ने 'श्री महाकाल लोक' के लोकार्पण के बाद इसकी विशेषताओं के साथ उज्जैन की खासियत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 'महाकाल लोक' में लौकिक कुछ भी नहीं है। शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है। सब कुछ अलौकिक है, असाधारण है, अविस्मरणीय है और अविश्वसनीय है। महकाल नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। यही वो जगह है जहां भगवान कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन भारत की आस्था का केंद्र रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी तपस्या और आस्था से जब महाकाल प्रसन्न होते हैं तो उनके आशीर्वाद से ही ऐसे ही भव्य स्वरूप का निर्माण होता है और जब महाकाल का आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं। उज्जैन के छण-छण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा और साहित्य का नेतृत्व किया है।
उज्जैन वो नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है। ये वो नगर है, जहां भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी।
महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर में 108 स्तंभ बनाए गए हैं, 910 मीटर का ये पूरा महाकाल लोक इन स्तंभों पर टिका है। महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है, सैकड़ों वर्षों के बाद उसे यहां साकार किया गया है।