कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों के ठीक होने के 2 साल बाद भी किसी न किसी तरह की शिकायत सामने आ रही है।
दरअसल, ये मरीज महज 400 से 500 मीटर चलने पर ही उतनी थकान महसूस कर रहे हैं, जितनी कि दो साल पहले दो से तीन किलोमीटर चलने के बाद होती है। इतना ही नहीं, कई लोग नींद न आना, बाल झड़ना, सांस फूलना, घुटनों में दर्द, जोड़ो में दर्द से भी जूझ रहे हैं।
वहीं नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स ने पोस्ट कोविड स्थिति को लेकर एक सर्वे किया, जिसे डोवप्रेस मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन में कोरोना की पहली और दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों से उनकी दिनचर्या के बारे में बातचीत की तो पता चला कि 2020 और 2021 के दौरान अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है।
कोविड संक्रमित होने के बाद लोग ठीक तो हो गए लेकिन आठ घंटे की नौकरी कर पाना उनके लिए काफी मुश्किल है। अध्ययन के मुताबिक, पोस्ट कोविड की व्यापकता 12 हफ्ते में घटकर 12.8 फीसदी रह गई है। महिला, वृद्धावस्था, ऑक्सीजन की खुराक, गंभीर बीमारी की गंभीरता और पहले से मौजूद अन्य बीमारियां पोस्ट कोविड से जुड़े हुए कारण हैं।
अध्ययन में ये भी पुष्टि की गई है कि कोरोना रोधी टीका ने न सिर्फ लोगों में पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित कर संक्रमण से बचाव किया है, बल्कि जिन लोगों में पोस्ट कोविड की आशंका थी उनमें से 39 फीसदी लोगों में टीका की बदौलत ये लोग पोस्ट कोविड की स्थिति में आने से बच गए।