दिल्ली की उच्च अदालत ने एक मामले में सहमति संबंध से गर्भवती 25 वर्षीय युवती के 23 सप्ताह के गर्भ को गिराने की मंजूरी के आग्रह को खारिज कर दिया है। साथ ही कहा कि, कानून में आपसी सहमति से गर्भवती महिला गर्भपात की अनुमति नहीं मांग सकती।
अदालत ने स्पष्ट किया कि, कानून में दुष्कर्म पीड़ित, जीवन को खतरा या शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट लगने की संभावना के चलते ही 20 सप्ताह से ज्यादा के गर्भ को गिराने की मंजूरी मिलती है। इसके अलावा अदालत ने तय कानून के मुद्दे पर दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
स्वास्थ्य विभाग को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 26 अगस्त तय की है।
महिला की अपील, मां बनने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है। और विवाह के बिना बच्चे को जन्म देने से उसका बहिष्कार होगा और उसकी मानसिक पीड़ा बढ़ेगी। और गर्भावस्था को जारी रखने से उसे गंभीर शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचेगी।