उत्तरकाशी-हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगे उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लाक के गांवों में आजकल बिशू मेलों की धूम मची है। क्षेत्र के गांवों में आयोजित इन पारंपरिक मेलों में ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ रही है। क्षेत्र के आराध्य समेश्वर देवता की डोली के साथ रांसो-तांदी नृत्य समेत अन्य अनुष्ठानों में क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। जखोल गांव में तीन दिनों तक बिशू मेलों का आयोजन किया जाएगा। मोरी ब्लाक की पंचगाईं पट्टी के भूटानू, मैजणी, दौंणी, थडियार, देवजानी आदि गांवों में हर साल वसंत ऋतु के आगमन पर खेतों में बुवाई का काम निपटने के बाद बिशू मेलों का आयोजन किया जाता है। बीते रोज फिताड़ी गांव में हर्षोल्लास के साथ बिशू मेले का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र के लिवाड़ी, फिताड़ी, रेक्चा, राला, कासला, जखोल, सुनकुंडी, पांव तल्ला, पांव मल्ला आदि 22 गांवों के ग्रामीण शामिल हुए। इस दौरान ग्रामीणों ने क्षेत्र के आराध्य समेश्वर देवता की पूजा-अर्चना कर सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की मन्नतें मांगीं। ग्रामीणों ने पूरी रात देव डोली के साथ रांसो तांदी नृत्य कर क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति की झलक प्रस्तुत की। मेले में शामिल हुए पुरोला विधायक राजकुमार ने कहा कि पारंपरिक मेले हमारी समृद्ध संस्कृति की पहचान हैं। इनका संरक्षण एवं संवर्द्धन हम सभी की जिम्मेदारी है। पर्यटन व्यवसायी चैन सिंह रावत ने पारंपरिक मेलों को पर्यटन से जोड़ने पर जोर दिया। इस मौके पर देवता के पुजारी कृपाल सिंह, रामध्यान, जयेंद्र सिंह, मोरी के ब्लाक प्रमुख बचन पंवार, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश चौहान, जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत, चैन सिंह, जनक सिंह आदि मौजूद रहे।