6 जुलाई, 1901 को जन्मे
श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल का हिस्सा थे। मुखर्जी ने
अपनी प्रारंभिक शिक्षा भवानीपुर,
कोलकाता
में मित्रा संस्थान में पूरी की और फिर प्रेसीडेंसी कॉलेज में
प्रवेश लिया, जो
अब एक स्वायत्त विश्वविद्यालय है। जबकि उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के साथ अपनी
राजनीतिक यात्रा शुरू की, मुखर्जी
ने बाद में भारतीय जनसंघ की सह-स्थापना की।
राजनेता ने अनुच्छेद 370 और 35A का विरोध किया और
नारा गढ़ा- "एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे...! आज उनकी जयंती पर,
जाने-माने
राजनेता के बारे में आइए जानते हैं कुछ अनकही बातें:
-बंगाली भाषा में मास्टर डिग्री
धारक मुखर्जी के पास कानून और अंग्रेजी में भी डिग्री थी। उन्होंने 1916 में
इंटर-आर्ट्स परीक्षा में 17वीं रैंक हासिल की।
-उन्होंने 1924 में कलकत्ता उच्च
न्यायालय में एक वकील के रूप में दाखिला लिया।
-33 साल की उम्र में श्यामा प्रसाद
मुखर्जी 1934 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बने।
विश्वविद्यालय में उनके कार्यकाल के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर
ने बंगाली में विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
-मुखर्जी 1929 में भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस के टिकट पर बंगाल विधान परिषद के सदस्य बने। हालांकि उन्होंने पार्टी
के साथ वैचारिक मतभेदों के कारण सिर्फ एक साल में ही पद छोड़ दिया। बाद में वे
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने।
-श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एमएस गोलवलकर से परामर्श के बाद 1951 में भारतीय जनसंघ
की स्थापना की। मुखर्जी पार्टी के पहले अध्यक्ष बने।
-मुखर्जी ने 1952 का आम चुनाव जनसंघ
के टिकट पर दक्षिण कलकत्ता सीट से जीता। उस चुनाव में पार्टी को केवल तीन सीटें
मिली थीं।
-मुकर्जी की 23 जून, 1953 को कश्मीर
में गिरफ्तारी के बाद रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। कश्मीर को दिए गए
विशेष दर्जे और वहां की परमिट प्रणाली के विरोध में नेता को उनकी मृत्यु से एक
महीने पहले तक श्रीनगर में हिरासत में रखा गया था।