विधानसभा चुनाव के लिए ताबड़तोड़ ड्यूटी लगाई जा रही हैं। इसमें उन कर्मचारियों को भी नहीं छोड़ा गया है तो 60 से 70% तक दिव्यांग हैं। कई शिक्षक-कर्मचारी तो ऐसे हैं जो बिना लाठी या बैसाखी के दो कदम भी नहीं चल पाते हैं। मजबूरी में ही सही ड्यूटी हटवाने के लिए रोजाना निर्वाचन कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि ऐसे दिव्यांग कर्मचारी कैसे पहाड़ी क्षेत्रों में लाठी-बैसाखी के सहारे ड्यूटी करने जाएंगे।