जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी अशोक कुमार से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने डीजीपी से देहरादून में बेरोजगारों के आंदोलन को फंडिंग करने वाले और पत्थर बरसाने वाले अराजक तत्वों को चिन्हित कर उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई करने की मांग की. इस बाबत उन्होंने डीजडीपी को ज्ञापन भी सौंपा.जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष और जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने आरोप लगाया कि करीब दो महीने पहले देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने एक दावा किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि बेरोजगार आंदोलन को कुछ कोचिंग सेंटर और राजनीतिक दलों के नेताओं ने किसी खास मकसद से फंडिंग की है, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी पुलिस मामले का पर्दाफाश नहीं कर पाई है, जो बड़ा सवाल है.
रघुनाथ सिंह नेगी का कहना है कि फंडिंग मामले का पर्दाफाश भी होना चाहिए. अगर इसी तरह फंडिंग के जरिए उत्तराखंड में आंदोलन हुए तो प्रदेश को जम्मू कश्मीर बनने में देर नहीं लगेगी. उनका ये भी कहना है कि अगर आंदोलन में किसी तरह की फंडिंग नहीं हुई है तो पुलिस का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि फंडिंग के जरिए आंदोलन के लिए उकसाने वाले लोगों और पत्थरबाजों के आकाओं पर भी रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए.वहीं, रघुनाथ सिंह नेगी का कहना है कि पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते बेरोजगारों पर लाठीचार्ज की नौबत आई, जिसकी मोर्चा घोर निंदा करता है. ऐसे में पुलिस-प्रशासन के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जन संघर्ष मोर्चा सभी भर्तियों की CBI जांच की मांग कर चुका है. हैरानी बात ये है कि डीआईजी का कहना है कि असामाजिक तत्वों की ओर से पत्थरबाजी की गई तो फिर बेरोजगारों पर क्यों मुकदमे दर्ज किए गए?