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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 15 Dec 2022 3:16 pm IST


Success Story: आईटी सेक्टर में काम करते हुए नेहा ने रचा इतिहास, यूपीएससी पास कर बनीं बड़ी अफसर


यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करना और उसमें सफलता हासिल करना सबके बस में नहीं होता है।  इसके लिए स्टूडेंट्स को न सिर्फ एक बहुत बड़े सिलेबस को पढ़ना पड़ता है बल्कि खुद को करंट अफेयर्स से भी अपडेट करते रहना होता है। वहीं कुछ सब्जेक्ट ऐसे भी हैं जिनके सिलेबस में हर साल नई चीजें जुड़ती रहती हैं। ऐसे में कई बार अधिक तनावग्रस्त होने के बाद उम्मीदवारों का मेल्टडाउन होना स्वाभाविक है लेकिन इससे निपटने का हर अभ्यर्थी का तरीका अलग होता है। कोई योग करता है, कोई स्पोर्ट्स तो कोई दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताता है और खुद को रिफ्रेश करता है।
आईआरएस अधिकारी नेहा नौटियाल ने खुद को रिफ्रेश करने के लिए फिल्म देखी, नॉवेल पढ़ी और दो दिन तक खूब आराम किया। उनके मामले में तनाव ज्यादा था क्योंकि वह सीएसई की तैयारी के दौरान फुल टाइम नौकरी कर रही थी। हालांकि, समय की कमी के बावजूद, उन्होंने साल 2011 में अपने दूसरे अटेंप्ट में ही परीक्षा  क्लियर कर ली और भारतीय राजस्व सेवा में शामिल होने का ऑप्शन चुना।  हालांकि उनके पास भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने का ऑप्शन भी था। 
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पैदा हुई और पली-बढ़ी नेहा नौटियाल के पिता पोस्ट ऑफिस में नौकरी करते थे जबकि उनकी मां हाउस वाइफ हैं।  दो भाई-बहनों में सबसे छोटी नेहा स्कूल में एक एवरेज स्टूडेंट थीं।  उन्होंने केंद्रीय विद्यालय स्कूल, देहरादून से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद अजमेर, राजस्थान चली गईं। 
यहां उन्होंने चार साल के इंटीग्रेटेड कोर्स में बीएससी और  बी.एड. कर ग्रजुऐशन कंप्लीट किया। इसके बाद वह अपने गृहनगर, देहरादून वापस चली गईं और वहां से जूलॉजी में एमएससी किया। नेहा नौटियाल ने यूपीएससी सीएसई में अपना पहला अटेंप्ट साल 2010 में दिया था, लेकिन इसमें वे सफल नहीं हो पाईं हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक और प्रयास के लिए तैयार होने का फैसला किया। यह सब उन्होंने एक आईटी पेशेवर के रूप में काम करते हुए किया। नेहा का कहना है कि कई बार, जब वह  निराशा महसूस करती थीं और हार मान लेना चाहती थीं तो 1-2 दिनों का ब्रेक  लेकर  फिल्म देखती थी, नॉवेल पढ़ती थी या फिर घूमने फिरने निकल जाती थीं।  इसके बाद उन्होंने साल 2011 में एक और अटेंप्ट दिया और फाइनल लिस्ट में अपना नाम देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।