पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा को पैगंबर पर कथित टिप्पणी और मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार करने का निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को तुरन्त लिस्टेड करने से मना कर दिया है।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाश पीठ ने मामले का उल्लेख करने वाले वकील अबू सोहेल को रजिस्ट्रार के समक्ष इसका उल्लेख करने को कहा। वकील ने मामले की तुरन्त सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि, शिकायत के बावजूद पुलिस ने नुपुर शर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। पीठ ने वकील से कहा कि, अवकाश पीठ के सामने पहले उल्लेख क्यों? रजिस्ट्रार के सामने पहले उल्लेख करें। वकील ने बाद में कहा कि उन्होंने रजिस्ट्रार के समक्ष मामले का उल्लेख किया है और 11 जुलाई को सुनवाई के लिए आने की संभावना है।
बता दें कि, याचिका में कहा गया है कि, नुपुर शर्मा ने पैगंबर और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। और इसलिए हमने स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच का निर्देश देने की मांग की जो उनकी तत्काल गिरफ्तारी सुनिश्चित कर सकती है। इसके अलावा याचिका में नुपुर शर्मा के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा गया कि, उनके बयान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 26 और 29 और अन्य मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।
वकील ने ये भी कहा कि, नुपुर शर्मा के आपत्तिजनक शब्दों ने देश और दुनिया भर में भारी अशांति और हंगामा खड़ा कर दिया है और हमारे महान राष्ट्र की छवि खराब कर दी है। नुपुर शर्मा की टिप्पणी हमारे संवैधानिक निर्माताओं के धर्मों के बीच सद्भाव पैदा करने के इरादे पर अनुचित और अवैध विचलन पैदा करती है।