हिंदी सिनेमा के 'ट्रेजेडी किंग' के नाम से मशहूर
दिलीप कुमार ने अपने छह दशकों के करियर में सिल्वर स्क्रीन पर कई ब्लॉकबस्टर हिट
फिल्में दीं। सदाबहार अभिनेता ने कई अपरंपरागत भूमिकाएं निभाईं, चाहे
वह देवदास हो या दाग।
सदाबहार स्टार का पिछले साल 7 जुलाई को निधन हो गया था। आज उनकी पुण्यतिथि पर आइए नजर डालते हैं उनके प्रभावशाली और सशक्त डायलॉग्स पर, जिन्होंने बड़े पर्दे पर जादू बिखेरा...
-कौन कम्बख्त है जो बरदाश्त करने के लिए पीता है। मैं तो पीता हूं के बस सांस ले सकूं - देवदास
-हक हमेश सर झुका के नहीं...सर उठाके मांगा जाता है - सौदागर
-तकदीरें बदल जाती है, जमाना बदल जाता है, मुल्कों की
तारीख बदल जाती है, शहंशाह बदल जाते हैं...मगर बदली हुई दुनिया में मोहब्बत जिस इंसान का
दमन थाम लेती है...वो इंसान नहीं बदलता- मुग़ल-ए-आज़म
-जो लोग सचाई की तरफदारी की कसम खाते हैं...जिंदगी उनके बड़े कठिन इम्तिहान लेते हैं - शक्ति
-तुम्हारी जिंदगी मेरे हाथ में है...और तुम्हारी मौत भी - कर्मा
-कागज़ात पर दस्तख़त मैं हमेशा अपनी कलम से करता हूं - विधाता
-अगर मैं चोर हूं, तो मुझसे चोरी कराने वाले तुम हो...और अगर मैं मुजरिम हूं, तो मुझसे जुर्म कराने वाले भी तुम हो - विधाता
-डूबती हुई कश्ती में भागने वाले कभी साहिल का मुहं तक नहीं देखते - लीडर
-मोहब्बत जो डरती है, वो मोहब्बत नहीं, आय्याशी है, गुनाह है - मुग़ल-ए-आजम
-होश से कह दो, कभी होश न आने पाए - देवदास
-खबर बस यही है, की जिंदा है - देवदास
-मेरा दिल भी आपका कोई हिंदुस्तान नहीं, जिसपर आप हुकुमत
करें – मुग़ल-ए-आज़म
-मैं किसी से नहीं डरता, मैं जिंदगी से नहीं डरता, मौत
से नहीं डरता, अंधेरों से नहीं डरता, डरता हूं तो सिर्फ खूबसूरती से - संगदिल