भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाते हुए पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान से भारत पहुंचे लोगों को बसाने में भी अपना अहम योगदान दिया। पंडित पंत के ही प्रयासों से अविभाजित उत्तर प्रदेश का तराई क्षेत्र न केवल आबाद हुआ बल्कि तराई की भूमि ने पहले ग्रेनरी ऑफ यूपी और बाद में ग्रेनरी ऑफ इंडिया यानी उत्तर प्रदेश और देश का अनाज गोदाम के रूप में अपनी पहचान बनाई। पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने वर्ष 1950-51 में इटावा में कम्यूनिटी मैनेजमेंट पर एक प्रोजेक्ट पर काम किया था। उसके बाद से ही उन्होंने अपने इस प्रोजेक्ट को तराई भाबर में भी उतारा और कई बड़ी कंपनियों को साथ लेकर तराई भाबर में पंतनगर विश्वविद्यालय, काशीपुर कुंडेश्वरी में एस्कार्ट्स और प्राग फार्म जैसे कई उद्यमों की स्थापना कराई। इससे बेरोजगारी के साथ साथ खाद्यान्न की कमी भी दूर हुई।