उत्तराखंड में भले ही बेटियों-महिलाओं की शिक्षा का स्तर सुधारने को लेकर तमाम योजनाएं चलाई जा रही हों लेकिन, हकीकत ठीक इसके उलट हैं। राज्य में 53 फीसदी महिलाओं का कहना है कि उन्होंने दसवीं कक्षा से पहले ही स्कूल छोड़ दिया था। केवल 47% ही ऐसी रहीं जिन्होंने सेकेंडरी एजुकेशन (माध्यमिक शिक्षा) सफलतापूर्वक पूरी की।
इस मामले में असम, हिमाचल, केरल, तमिलनाडु जैसे 17 राज्य उत्तराखंड से काफी आगे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की जुलाई में जारी श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। एनएसओ की रिपोर्ट देशभर के 6930 गांव और 5632 ब्लॉकों का सर्वे कर तैयार की गई है।
1 लाख 344 घरों में रहने वाले 25 साल से अधिक उम्र के 2 लाख 9 हजार 645 पुरुष और 2 लाख 1 हजार 86 महिलाओं से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। इसके अनुसार उत्तराखंड में 25 साल और इससे ऊपर उम्र की 47.2% महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें कम से कम सेकेंडरी एजुकेशन तक की शिक्षा ली है। शेष 53% महिलाओं ने कभी भी न तो 12वीं उत्तीर्ण करने का प्रयास किया और न ही डिग्री कॉलेजों या अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों का मुंह देखा।