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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 18 Sep 2023 11:55 am IST


उत्तरकाशी के मुखबा में सेलकु मेले का समापन


उत्तरकाशी: बुग्याल क्षेत्रों से चुनकर लाए गए ब्रह्मकमल आदि रंग बिरंगे वन पुष्पों की भीनी-भीनी सुगंध के बीच रातभर जागकर लोकगीतों पर रांसों नृत्य करते पारंपरिक वस्त्रों से सुसज्जित ग्रामीण तथा ग्राम देवता की अलौकिक शक्तियों का प्रदर्शन आखिर किसे नहीं आकर्षित करेगा. भादों के आखिरी सप्ताह में टकनौर पट्टी के रैथल, गोरसाली, मुखबा सहित लगभग हर गांव मनाए जाने वाले 'सेलकु मेलों में कुछ इसी तरह क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति व प्रकृति का नजारा होता है.सर्दियां शुरू होते ही बुग्याल क्षेत्रों से पशुपालकों व मवेशियों के सुरक्षित घर लौटने की खुशी तथा सुख-समृद्धि की कामना के साथ इस क्षेत्र में 'सेलुकू मेलों की परंपरा सदियों से चली आ रही है. बुग्यालों से लौटने वाले पशुपालक अपने साथ समृद्धि की सौगात के तौर पर ब्रह्मकमल आदि वन पुष्प लेकर आते हैं. सारा गांव रातभर जागकर 'सेलुकू का पर्व मनाता है. रैथल से शुरू होकर गोरसाली सहित क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांवों के बाद मुखबा में 'सेलुकू का समापन होता है.