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• Sun, 20 Jun 2021 7:39 am IST


उत्तराखंड के इस मंदिर में भगवान विष्णु और शिव की होती है एकसाथ पूजा


सोनपुर में गंगा-नारायणी (गंडक) के संगम तट पर कार्तिक पूर्णिमा को स्नान का बहुत ही महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को हर साल यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस अवसर पर इसी जगह पर एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला भी लगता है। इसी स्थान पर हरिहरनाथ का एक विशाल मंदिर है, जिसमें हरि (विष्णु) और हर (शिव) की एक साथ पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगस्त्य मुनि के शाप से इंद्रद्युम्न नामक एक राजा हाथी बन गया था और देवल मुनि के शाप से हुहु नामक गंधर्व मगरमच्छ। इस मगरमच्छ का निवास इसी संगम के तट पर था। कालांतर में प्यास से व्याकुल गज बना इंद्रद्युम्न एक बार इस तट पर पानी पी रहा था कि अचानक मगरमच्छ बने हुहु गंधर्व ने उस पर हमला कर दिया। वह गज का पैर अपने मुंह में दबा कर उसे गहरे और अथाह पानी में खींचने लगा।


ग्राह यानी मगरमच्छ के हमले से भयभीत गज ने आर्तनाद करते हुए भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से ग्राह का वध कर गज की रक्षा की और दोनों को शाप मुक्त किया। यह युद्ध गज और ग्राह के बीच सोनपुर में गंगा और गंडक के संगम पर हुआ था। शास्त्रों में यह गज-ग्राह युद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। भागवत पुराण में इसकी व्याख्या है। गज द्वारा की गई प्रार्थना को आज भी गजेंद्र मोक्ष के नाम से पढ़ा जाता है। हरिहर क्षेत्र मेला का यह स्थान सोनपुर मेला, छत्तर मेला और कोनहरा घाट मेला के नाम से भी प्रसिद्ध है।