खूबसूरत है जिंदगी, गुस्से में मौत नहीं अपनों को लगाएं गले
मां-बाप जिगर के टुकड़ों के लिए मन में सुनहरे सपने संजोए हुए उनकी इच्छा पूरी करने में लगे रहते हैं। वहीं बच्चे खुदकुशी कर उनके दिलों को छलनी कर रहे हैं। युवाओं में सहनशीलता कम हो रही है। छोटी-छोटी बातों पर परिवार से गुस्सा होकर आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। जिले में पिछले तीन महीने में 60 लोगों ने जान दी। खास बात यह है कि इनमें 35 युवक-युवतियों भी शामिल हैं। मनोचिकित्सक इन आंकड़ों पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमें युवाओं को समझाना होगा कि वह जीवन के प्रति सकारात्मक रहें। जीवन को जीने का सपना बुनें और गुस्से में अपनों को गला लगाए, मौत को नहीं। प्रतिस्पर्द्धा के दौर में लाइफ स्टाइल बदल गई हैं। पढ़ाई और करियर का अधिक दबाव है। परिवार में मन मुटाव है। लोग मानसिक अवसाद का शिकार हो रहे हैं। इनमें हर उम्र और तबके से जुड़े लोग हैं। तनाव में जिंदगी से हारकर मौत को गले लगा रहे हैं। जिले में आत्महत्या के आंकड़ों से हर कोई हैरान है। तीन माह में 60 लोगों ने मौत को गले लगाया है। इनमें 35 युवक और युवतियां हैं। कई किशोर भी माता-पिता की डांट, मोबाइल और स्कूटी की डिमांड पूरी नहीं होने पर जान दे रहे हैं। कई घटनाएं प्रेम प्रसंग के भी सामने आए हैं।