इंसान का जीवन कितना बचा है, आंखों को स्कैन कर इसकी जानकारी मिल सकेगी। आसान भाषा में यह कह सकते हैं कि आंखों की जांच करके मौत के रिस्क की गणना की जा सकेगी। यह दावा ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न सेंटर फॉर आई रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने अपने हालिया अध्ययन में किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि आंखों में मौजूद रेटिना इंसान की सेहत का आईना होता है, इसलिए आंखों को स्कैन करके यह बताया जा सकेगा कि मौत का खतरा कितना है। साथ ही मनुष्य का कितना जीवन बचा है। यह अध्ययन ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित हुआ। मेलबर्न सेंटर फॉर आई रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर डॉ. लीजा झू कहती हैं कि अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि रेटिना बढ़ती उम्र का इंडिकेटर है। रेटिना इंसान की सेहत के बारे में कई जानकारी देता है। इसकी मदद से दिल और दिमाग की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है-
19 हजार आंखों को स्कैन किया गया- एआई के जरिए आंखों के रेटीने की 19 हजार तस्वीरों का विश्लेषण किया गया। इसमें पता चला कि कि 50 फीसदी से अधकि लोगों के रेटिना उनकी वास्तवकि से तीन साल बड़े इंसान जैसे थे। वहीं, कुछ लोगों के रेटिना उम्र के मुकाबले करीब एक दशक तक उम्र में बड़े थे।
पहले भी हो चुकी है भविष्यवाणी- प्रोफेसर डॉ. लीजा झू कहती हैं कि रेटिना के ठीक पीछे मौजूद लेयर प्रकाश के प्रति सेंसेटिव होती है। इसकी मदद से कई बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। उनका कहना है कि शोध के परिणाम उत्साहित करने वाले हैं। इससे भविष्य में कई बीमारियों का इलाज किया जा सकेगा। इससे पहले हुए अध्ययन में अल्जाइमर और हृदय रोगों के बारे में भविष्यवाणी करने का दावा किया गया था।