सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, दूसरों के विचारों के प्रति सहनशील होना तो अच्छा होता है। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि, किसी व्यक्ति को नफरत फैलाने वाले विचार को भी मानना चाहिए।
गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में उन्होंने ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों से अपील की कि, वो अपनी अंतरात्मा और न्याय के लिए सही वजहों को चुनकर अपनी राह बनाएं। अपने संबोधन में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, अल्प याद्दाश्त वाली सोशल मीडिया की दुनिया यह याद रखने में मददगार है कि, हमारे किए गए बहुत से कामों का लंबे समय बाद असर दिखेगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने रोज की घटनाओं से नहीं घबराना चाहिए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने वॉल्टेयर की मशहूर उक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि, उन्होंने कहा था कि, तुम्हारे कथन से मैं सहमत नहीं हूं लेकिन तुम्हारी बोलने के अधिकार की मैं मरते दम तक रक्षा करूंगा, और इसे हमें हमारे जीवन में शामिल भी करना चाहिए।
उन्होंने कहा, गलतियां करना, दूसरों की राय को स्वीकार और उसके प्रति सहनशील होने को अर्थ अंथ अनुसरण नहीं है। और इसका अर्थ यह भी नहीं है कि, हमें हेट स्पीच के खिलाफ नहीं खड़ा होना चाहिए।