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DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 4 Feb 2023 4:44 pm IST


छह साल की उम्र में चली गई दोनों आंखों की रोशनी, लेकिन नहीं मानी हार, बिना कोचिंग क्लियर किया UPSC Exam


संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) या सिविल सेवा परीक्षा को क्रैक करना सबके बस में नहीं होता। इसे पास करने में कई लोगों को सालों लग जाते हैं तो कई एक ही अटैंप्ट में पास कर लेते हैं। आज हम आपको प्रांजल पाटिल के बारे में बताने जा रहे हैं जो सभी कठिनाइयों को पार करते हुए भारत की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अधिकारी बनीं। उनकी सफलता की कहानी प्रेरणा से भरी है और प्रतिकूल परिस्थितियों के हाई लेवल के बारे में बात करती है जिससे उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।
प्रांजल ने दो बार यूपीएससी का एक्जाम दिया। एक बार 2016 में और एक बार 2017 में। साल  2016 में उनकी रैंक 744 थी जिससे वह आईएएस नहीं बन सकती थी। ऐसे में उन्होंने दूसरी बार परीक्षा में बैठने का फैसला किया। इस बार यानी 2017 में उन्होंने ऑल इंडिया 124वीं रैंक हासिल की और आईएएस बनकर अपने सपने को पूरा किया। महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली प्रांजल का जन्म कमजोर आईसाइट के साथ हुआ था।  मात्र 6 साल की उम्र तक उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई थी। प्रांजल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कमला मेहता दादर स्कूल फॉर ब्लाइंड से पूरी की। इसके बाद उन्होंने राजनीति विज्ञान में सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया।
उन्होंने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल रिलेशन्स में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया और फिर एम.फिल और पीएचडी कंप्लीट की। खास बात यह है कि प्रांजल ने आईएएस की तैयारी के लिए कभी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। उन्होंने एक विशेष सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल किया जो किताबों को जोर से बोलकर सुनाता था।  साल 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में 124 वीं रैंक हासिल करने के बाद, उन्हें 2018 में एर्नाकुलम, केरल में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था।